
HI AM AJAY WAITING FOR U
जन्नत का नाम ही अन्नंत है, लोग तो बहुत कुछ जानना चाहते है, लेकिन आज तक कोई इस जन्नत को नहीं जान पाया है,जितना जानना चहेंगे उतना ही उलझते जायेंगे| लेकिन तब भी इन्सान उस हर पहलू को जानना चाहता है, दुनिया के हर उस मोड़ पे इन्सान चलता है, गिरता है और बार-बार उस चीज को जानना चाहता है लेकिन उसकी इच्छा कभी नहीं मरती| जिस तरह से इस दुनिया की आबादी बढ रही है उसी तरह से इन्सान की इच्च्ये बढती जा रही है| जो शायद कभी न ख़त्म हो.
hello how r u
ReplyDeleteअजय मुकुल के मुक्ताक
ReplyDeleteजो हाथ जोड.कर के, मन्दिरों में खडे. हैं
संतों के, महंतों के, जो चरणों में पडे. हैं
नादान हैं शायद उन्हें, मालूम नहीं है
मंदिर की मूर्तियों से तो, मां बाप बडे. हैं ।
जिन्द गी दास्तांन है प्याेरे
सांस उसका बयान है प्यातरे
नन्हींस चिडि.या के पंख कहते हैं
हर जगह आसमान है प्यायरे ।
दुनियां का हर दर्द किनारे रखते हैं
दो आंखों में सागर खारे रखते हैं
जब से पंख लगे हैं ढाई आखर के
कदमों में हम चांद सितारे रखते हैं ।
जब तलक भी ये सांस बाकी है
दर्द सहने की आस बाकी है
एक सागर मैं पी चुका हूं मगर
फिर भी होठों की प्याुस बाकी है ।